बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर
प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
लघु प्रश्न
1. व्यक्तित्व के प्रकारों का वर्णन कीजिये।
2. हिप्पोक्रेट्स ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
3. क्रेश्चमर द्वारा व्यक्तित्व के वर्गीकरण पर टिप्पणी लिखिये।
4. शेल्डन के व्यक्तित्व का वर्गीकरण की व्याख्या कीजिये।
5. युग द्वारा व्यक्तित्व के वर्गीकरण पर प्रकाश डालिये।
6. व्यक्तित्व का प्रकार उपागम।
उत्तर -
व्यक्तित्व का वर्गीकरण करने की प्रवृत्ति विद्वानों में आरम्भ से ही रही है यद्यपि वर्तमान में प्रकारात्मक वर्गीकरण (Typological classification) के बजाय व्यक्तित्व का अध्ययन शीलगुणों के आधार पर किया जाता है। यद्यपि हिप्पोक्रेट्स, क्रेश्चमर तथा शेल्डन द्वारा किये गये वर्गीकरणों का केवल पुस्तकीय महत्व रह गया है, क्योंकि इनसे व्यक्तित्व का वैज्ञानिक अध्ययन करने में कोई सहायता नहीं मिलती फिर भी इनका व्यक्तित्व के अध्ययन में बहुत महत्व है। यदि कुछ समानताओं के आधार पर लोगों को एक तरह के व्यक्तित्व का माना जाता है तो इसे प्रकारात्मक उपागम (Typological Approval) कहा जाता है। व्यक्तित्व के कुछ प्रमुख वर्गीकरण निम्नलिखित हैं -
1. हिप्पोक्रेट्स का वर्गीकरण (Hippocrate's Classification) - हिप्पोक्रेट्स एक यूनानी चिकित्सक थे उन्होंने प्राचीनकाल (460-370 ई.पू.) में व्यक्तित्व को चार भागों में बाँटा था।
इसे व्यक्तित्व का पहला प्रकारात्मक वर्गीकरण माना जाता है। इसका प्रतिपादन ईसा से चार सौ वर्ष पूर्व किया गया था। इसके अनुसार व्यक्तित्व चार प्रकार के होते हैं - आशावादी, विषादी, क्रोधी एवं श्लेष्मिक (सुस्त)। यह वर्गीकरण व्यक्तित्व के वैज्ञानिक अध्ययन में सहायक न होने के कारण अब मान्य नहीं है। इसकी विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
क्र.सं. | प्रकार (Type) | विशेषतायें (Characteristics) |
1. 2. 3. 4. |
आशावान (Sanguine) विषादी (Melancholic) क्रोधी (Choleric) श्लेष्मिक (Phlegmatic) |
आशावादी, उत्साही, प्रसन्नचित्त, सक्रिय उदास, कुण्ठित. निराशावादी आक्रामक, चिडचिडा, कोपशील शांत प्रकृति, निष्क्रिय, दुर्बल उत्तेजना रहित |
2. क्रेश्चमर का वर्गीकरण (Kretchme's Classification) - क्रेश्चमर (1925) ने व्यक्तित्व को चार प्रकार का माना है। क्रेश्चमर ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण शारीरिक संरचना के आधार पर किया था। क्रेश्चमर ने चारों प्रकार के व्यक्तियों में व्यावहारिक असामान्यता को भी व्यक्त करने का प्रयास किया था। उनके अनुसार मनोविदलता प्रायः लम्बकाय व्यक्तियों में तथा उत्साह-विषाद प्रायः गोलकाय व्यक्तियों में पायी जाती है। यद्यपि कुछ मामलों मे क्रेश्चमर का विश्लेषण सही साबित हुआ है फिर आधुनिक शोधकर्ता इसको विशेष महत्व नहीं देते हैं क्योंकि शारीरिक बनावट के आधार पर मानसिक रोगों का निर्धारण वैज्ञानिक नहीं माना जा सकता है।
क्र.सं. | प्रकार (Type) | विशेषतायें (Characteristics) |
1. | गोलकाय (Pyknic) | नाटे, मोटे, चौड़ा सीना, बातूनी, सामाजिक आराम पसन्द। |
2. | लम्बकाय (Asthenic) |
कमजोर, पतली भुजाये, छोटा सीना, दुबला-पतला शरीर, कल्पनाशील, चिड़चिड़ा, भावनात्मक, एकान्तप्रिय। |
3. 4. |
सुडौलकाय (Athletic) मिश्रितकाय (Dysplastic) |
स्वस्थ, शक्तिशाली, मजबूत हाथ-पैर, सामंजस्यवादी, पहलवान जैसा गठा शरीर, साहसी, प्रसन्नचित्त, सामाजिक। उपरोक्त सभी का मिश्रण |
3- शेल्डन का वर्गीकरण (Sheldon's Classification) शेल्डन (1942) ने व्यक्तित्व के तीन प्रकारों का वर्णन किया है। यह वर्गीकरण शारीरिक संरचना एवं स्वभाव दोनों पर आधारित है। इस वर्गीकरण को संरचनात्मक सिद्धान्त (Constitutional Theory) भी कहा जाता है। शेल्डन ने व्यक्ति में तीन प्रकार के स्वभावों का भी वर्णन किया है। इनमें गोलाकार (Endomorphic) लोगों का स्वभाव विसेरोटॉनिक (Viscerotonic), आयताकार (Mesomorphic) लोगो का स्वभाव सोमैटाटॉनिक (Somatotonic) एवं लम्बाकार (Ectomorphic) लोगों का स्वभाव सेरिब्रेटॉनिक (Cerebratonic) माना गया है।
शेल्डन द्वारा बताये गए प्रकार एवं उनकी विशेषतायें निम्नलिखित हैं
क्र. सं. | प्रकार (Type) | विशेषतास्वस्थ, (Characteristics) |
1. | गोलाकार (Endomorphic ) | मोटे, भारी, गोलाकार, कम विकसित अंतड़िया, आराम पसन्द, सामाजिक, कम सक्रिय, मिलनसार, सरल स्वभाव, अधिक निद्रा वाले, सहिष्णु। |
2. | आयताकार Mesomorphic |
स्गठीले, शक्तिशाली, साहसी, परिश्रमी, लक्ष्योन्मुखी, समर्पित, कर्मठ, आकाक्षी, स्वास्थ्य के प्रति सतर्क। |
3. | लम्बाकार (Ectomorphic) | दुर्बल, लम्बे, शीघ्र थकान अनुभव करने वाले, बाहरी जगत में कम रुचि, संयमी, मानसिक कार्यों में अधिक रुचि आत्मकेन्द्रित, घबराहट अनुभव करना, अर्न्तमुखता, कलात्मक। |
4. युंग का वर्गीकरण (Yung's Classification) - युग (1875-1961) ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण व्यवहार की प्रवृत्तियों के आधार पर किया है। युग (1921) ने इसकी व्याख्या निम्नलिखित रूप में की थी।
(i) अन्तर्मुखी (Introvert ) - अन्तर्मुखी व्यक्ति लज्जालु, सकोची, दब्बू, विचार प्रधान, सोच-विचारकर निर्णय लेने वाले, भविष्य के प्रति चिन्ता करने वाले, सामाजिक क्रियाकलापों में कम दिलचस्पी लेने वाले तथा ससार के प्रति आत्मनिष्ठ दृष्टिकोण रखने वाले होते हैं। ऐसे लोग प्रायः कल्पना जगत में रहते है तथा अपनी आलोचना से शीघ्र घबराने वाले होते हैं। ऐसे लोग प्रायः कल्पना जगत में अपना ध्यान शारीरिक सुख तथा अपने ऊपर केन्द्रित करने वाले होते हैं। इनका व्यवहार वाह्य जगत की अपेक्षा आन्तरिक कारणों से प्रभावित होता है।
(ii) बहिर्मुखी (Extrovert) - बहिर्मुखी व्यक्ति वाचाल, वाकपटु एवं सामाजिक होते हैं। ये व्यवहार कुशल तथा वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति वर्तमान को अधिक महत्व देते हैं। इनमें निर्णय लेने तथा उसे क्रियान्वित करने की क्षमता भी अधिक होती है। ये व्यक्ति अधिक क्रियाशील होते हैं तथा इनका व्यवहार वाह्य जगत द्वारा अधिक प्रभावित होता है।
(iii) उभयमुखी (Ambivert) जब युंग ने यह अनुभव किया कि कुछ व्यक्ति न तो पूर्णतः अन्तर्मुखी होते हैं और न ही बहिर्मुखी होते हैं, इस प्रकार के व्यक्तियों को उभयमुखी श्रेणी में रखा गया। इनमें दोनों प्रकार के व्यक्तियों की विशेषतायें होती हैं।
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- प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
- प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
- प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
- प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
- प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
- प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन के समूह कारक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त के आधार पर बुद्धि की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' (OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा से आप क्या समझते हैं? आवश्यकता, प्रेरक एवं प्रलोभन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न शारीरिक एवं सामाजिक मनोजनित प्रेरकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणाओं के संघर्ष से आप क्या समझते हैं? इसके समाधान करने के तरीकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- “बाह्य अभिप्रेरण देने से आन्तरिक अभिप्रेरण में कमी आती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आन्तरिक प्रेरणा क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
- प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
- प्रश्न- जैविक और सामाजिक प्रेरक।
- प्रश्न- जैविक तथा सामाजिक अभिप्रेरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आन्तरिक एवं बाह्य अभिप्रेरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा चक्र पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के मापदण्ड बताइये।
- प्रश्न- पशु प्रणोद की माप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग से आप क्या वर्णन कीजिये। समझते हैं? इसकी विशेषतायें तथा इसके विकास की प्रक्रिया का
- प्रश्न- सांवेगिक अवस्था में क्या शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
- प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
- प्रश्न- संवेग शैस्टर-सिंगर सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- संवेग में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संवेगों पर किस प्रकार नियंत्रण कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'पॉलीग्राफिक विधि झूठ को मापने की उत्तम विधि है। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संवेग के
- प्रश्न- संवेग के कैननबार्ड सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा उनकी मानसिक योग्यता सामान्य छात्रों से कम होती है।
- प्रश्न- सार्वभौमिक एवं विशिष्ट संस्कृति संवेग की अभिवृत्ति के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गैल्वेनिक त्वक् अनुक्रिया का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- संवेग के आयामों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले बाह्य शारीरिक परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- झूठ संसूचना से क्या आशय है?
- प्रश्न- संवेग तथा भाव में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेग के मापन की कोई दो विधियाँ बताइये।